Tuesday 5 June 2018

मप्र: कांग्रेस नेता कमलनाथ के घर से चंदन के पेड़ की चोरी, 9 महीने बाद आरोपी गिरफ्तार

भोपाल: छिंदवाड़ा सांसद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के फार्म हाउस को भी चोरों ने नहीं बख्शा. कड़ी सुरक्षा के बीच चोर पेड़ चुरा ले गए और किसी को भनक भी नहीं लगी. चोरों को दबोचने में पुलिस को नौ महीने लग गए. फिर भी गिरोह के सभी सदस्य गिरफ्तार नहीं हो पाए. गिरोह के फरार सदस्यों की तलाश में टीम जुटी है.

मध्‍यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के सांसद कमलनाथ का शिकारपुर में फार्म हाउस है. इस फार्म हाउस से 19 और 20 अक्टूबर 2017 की रात चोर चन्दन का पेड़ काट ले गए थे. अगले दिन चौकीदार की रिपोर्ट पर पुलिस ने अज्ञात चोरों पर मामला दर्ज किया था. चोरों को पकड़ने में पुलिस को पूरे नौ महीने का समय लग गया.

भोपाल: छिंदवाड़ा सांसद और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के फार्म हाउस को भी चोरों ने नहीं बख्शा. कड़ी सुरक्षा के बीच चोर पेड़ चुरा ले गए और किसी को भनक भी नहीं लगी. चोरों को दबोचने में पुलिस को नौ महीने लग गए. फिर भी गिरोह के सभी सदस्य गिरफ्तार नहीं हो पाए. गिरोह के फरार सदस्यों की तलाश में टीम जुटी है.

मध्‍यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के सांसद कमलनाथ का शिकारपुर में फार्म हाउस है. इस फार्म हाउस से 19 और 20 अक्टूबर 2017 की रात चोर चन्दन का पेड़ काट ले गए थे. अगले दिन चौकीदार की रिपोर्ट पर पुलिस ने अज्ञात चोरों पर मामला दर्ज किया था. चोरों को पकड़ने में पुलिस को पूरे नौ महीने का समय लग गया.

कमलनाथ की राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी हुई लीक, कांग्रेस में मचा बवाल

पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक, गिरोह का एक सदस्‍य शहर की मांधाता कॉलोनी में चोरी के इरादे से घूम रहा था. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर संदिग्ध को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने अपने तीन अन्य साथियों के साथ चोरी करना कबूला. पुलिस ने आरोपी के बताए ठिकाने से 2 बोरी चन्दन की लकड़ी के टुकड़े बरामद किए. लकड़ी ढोने में इस्तेमाल होने वाली दो बाइक और चार लोगों को गिरफ्तार किया. गिरोह के दो अन्य सदस्य फरार है जिनकी तलाश में पुलिस टीम जुटी हुई है.

Source:-ZEENEWS

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Monday 4 June 2018

यूपी में जीत के लिए भाजपा बना रही 'खास प्लान', 50 सीटों पर होगा फोकस

नई दिल्ली : 2019 चुनाव से पहले भाजपा को उत्तरप्रदेश में एक के बाद एक तीन उपचुनाव में मिली हार ने उसके माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं. खासकर गोरखपुर और कैराना में मिली हार के बाद तो भाजपा की रणनीति पर ही सवाल उठ खड़े हुए हैं. पश्चिम यूपी में जिस तरह 2014 में भाजपा को कामयाबी मिली थी, वह इस बार विपक्षी एकता के सामने घुटने टेकती दिखाई दी. अब सवाल उठता है कि भाजपा यूपी में 2014 वाला प्रदर्शन कैसे दोहराएगी. भाजपा के अंदरूनी सूत्रों से जो खबरें आ रही हैं, उसके अनुसार, भाजपा को भी यह अहसास है कि अब यह संभव नहीं है. इसलिए अब भाजपा अपना प्लान बदलने जा रही है.

भाजपा को पता है कि 80 में से 71 सीटें जीतने का करिश्मा अब शायद ही दोहराया जा सके. ऐसे में उसने अपना टारगेट घटाकर 50 के आसपास कर लिया है. द प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा मानती है कि अगर वह 50 सीटों के आसपास भी रह जाती है तो ये उसके लिए अच्छा होगा. साथ ही किसी दूसरी पार्टी को यूपी में 10 -15 सीटों से ज्यादा नहीं मिलेंगी. पार्टी नेता मानते हैं कि कि अगर यूपी से उसे 20 सीटें कम मिलीं, तो इसकी भरपाई वह दक्षिण और नॉर्थ ईस्ट को मिलाकर पूरा कर सकते हैं.

हाल में कैराना और नूरपुर में जिस तरह से सपा, आरएलडी, बसपा और कांग्रेस की एकता के कारण भाजपा को झटका लगा है, उसके कारण उसे अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ रहा है. 2014 में अगर भाजपा अपने दम पर बहुमत पा सकी थी तो इसका सबसे बड़ा कारण यूपी में मिली उसकी कामयाबी ही थी. लेकिन अब विपक्ष के साथ आने से उसे सबसे बड़ा संकट दिख रहा है.

कैराना में पाटा जा सकता है अंतर
भाजपा को लगता है कि वह कैराना में वोटों का अंतर पाट सकती है. 2014 में उसे 5,65,909 वोट मिले थे. इस बार के उपचुनाव में उसे 4,36,564 वोट मिले. वहीं विपक्ष की बात करें तो उसे 5,32,201 वोट मिले थे. (इसमें सपा, बसपा और आरएलडी के वोट शामिल हैं. कांग्रेस के नहीं). वहीं इस उपचुनाव में उसे 4,81,182 वोट मिले. कैराना में भले उसका वोट शेयर गिर गया हो, लेकिन वह अपने दम पर भी 46.5 फीसदी वोट पा गई.

2019 चुनावों में ये हो सकता है भाजपा गणित
2019 के चुनाव में भाजपा अपने कोर वोटर पर फोकस करेगी. इन उपचुनावों में भी तमाम मुद्दों के बावजूद उसे उसके पारंपरिक वोटराें का साथ मिला है. पार्टी ये भी मानती है कि बड़ी मात्रा में उसके वोटर इन उपचुनावों में वोट देने के लिए नहीं निकले. इन सभी उपचुनावों में पिछले चुनावों के मुकाबले कम वोट पड़े. कैराना में ही 2014 के मुकाबले इस चुनाव में 18 फीसदी कम वोटिंग हुई. इस बार 54 फीसदी लोग ही वोट देने के लिए निकले. ऐसा ही हाल नूरपुर का रहा. वहां पर 2017 विधानसभा चुनावों के मुकाबले कम वोटिंग हुई.

Source:-ZEENEWS

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Friday 1 June 2018

देश के इस गांव में गरीबों के मसीहा बना ये उद्योगपति, बना दिया बिलकुल शहर जैसा

दिल्ली के अग्रणी उद्योगपति संजय डालमिया द्वारा संचालित डालमिया सेवा ट्रस्ट (डीएसटी) अपने गृह जिला झुंझनु के चिरावा तहसील में आने वाले एक गांव में लोगों की भलाई और उनका जीवन स्तर ऊपर उठाने के क्षेत्र में बीते 14 सालों से शिद्दत से काम कर रहा है. ट्रस्ट इस्लाइलपुर नाम के इस गांव में 2004 से ही शिक्षा, पर्यावरण, जल संरक्षण, सेहत और स्वच्छता के क्षेत्र में विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं पर काम कर रहा है. ट्रस्ट सभी क्षेत्रों, जैसे साफ-सफाई और उन्हें पीने योग्य साफ और सुरक्षित पानी की सुविधाएं दिलाने में जुटा है. बारिश के पानी को हार्वेस्टिंग टैंक में स्टोर किया जाता है, जिससे उसे रिसाइकिल कर खाना पकाने और पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सके.


डालमिया सेवा ट्रस्ट चिरावा में साफ-सफाई और स्वच्छता के क्षेत्र में अपने हिस्से का कार्य कर स्वच्छ भारत अभियान के विचार में गहरी दिलचस्पी दिखा रहा है. इसके लिए ट्रस्ट उन 100 घरों में शौचालय बनवा रहा है, जहां के लोग आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं और अपने संसाधनों के दम पर शौचालय नहीं बनवा सकते. 

डीएसटी ने चिरावा में करीब 100 बेघर परिवारों के लिए घर भी बनाए हैं. समाज सेवा के ये सभी कार्यों का संचालन और प्रबंधन डालमिया सेवा ट्रस्ट की ओर से अपने संसाधनों से ही किया जाता है. उन्हें राज्य प्रशासन या किसी बाहरी एजेंसियों से किसी तरह की मदद नहीं मिलती.

सेहतमंद जिंदगी जीने के लिए साफ-सफाई और स्वच्छता बेहद महत्वपूर्ण है. ट्रस्ट इस दिशा में काम कर रही है. ट्रस्ट ने अब तक 125 शौचालय बनाए हैं और गांव में 75 टॉयलेट और बनवाए जा रहे हैं. ये सारा काम मोदी सरकार के स्वच्छ भारत अभियान शुरू होने से पहले से ही किया जा रहा है.

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टिप्पणियां डालमिया सेवा ट्रस्ट ने उल्लेखनीय योगदान करते हुए सामाजिक विकास के लिए चिरावा तहसील के इस्माइलपुर गांव को गोद लिया है. ग्रामीण विकास परियोजना के तहत ट्रस्ट ने करीब 13 बेघर परिवारों के घर बनाए हैं। ट्रस्ट इस तरह के 15-20 और घर बना रहा है. डालमिया परिवार देश की अन्य बड़ी कंपनियों और कॉरपोरेट्स से राष्ट्रीय एकीकरण के लिए आगे आने का आग्रह करता है, जिससे देश के संपूर्ण विकास के लिए सरकार और इंडस्ट्री के बीच एक रचनात्मक लिंक बन सके.

Source:-NDTV

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Thursday 31 May 2018

आज से देशभर में किसान हड़ताल पर, शहरों में बंद हो सकती है फल, सब्जी, दूध की सप्लाई

नई दिल्ली : 1 जून यानि की आज (शुक्रवार) से मध्य प्रदेश समेत 22 राज्यों के किसान अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. इस आंदोलन के लिए देशभर के किसान एकजुट हो चुके हैं और इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि हड़ताल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों से फल, सब्जी, दूध व अन्य सामान शहरों की तरफ नहीं आने देंगे. किसान संगठन के नेताओं का कहना है कि यह हड़ताल फिलहाल 10 जून तक प्रस्तावित है, अगर सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना तो आने वाले वक्त में यह ज्यादा दिनों तक बढ़ाई जा सकती है.

प्रशासन ने कसी आंदोलन के लिए कमर
साल 2017 में हुए किसान आंदोलन से सबक लेते हुए प्रशासन ने भी इसके लिए तैयारी कर ली है. मध्यप्रदेश के आईजी मकरंद देउस्कर ने बताया कि आंदोलनकारियों से निपटने के लिए पुलिस तैयार है. चिन्हित 35 जिलों में 10 हजार लाठियों के साथ हेलमेट, चेस्टगार्ड आवंटित किए गए हैं. 100 के तकरीबन चार पहिया पुलिस वाहनों को भेजा गया. सबसे ज्यादा वाहन इंदौर, राजगढ़ में 8-8, मुरैना में 7, भोपाल, दतिया में 6-6, शिवपुरी, गुना, सतना में 5-5 गाड़ियों को तैनात किया गया है.

किसान आंदोलन: मंदसौर में 1200 लोगों को प्रतिबंधात्मक नोटिस, साइन कराए 25000 के बांड

क्या है किसानों की मांग

- देश के किसानों का सारा ऋण एक साथ माफ किया जाए.

- सभी फसलों पर लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य को बढ़ाया जाए.

- छोटे किसान या फिर किसी अन्य की भूमि पर खेती करने वाले किसानों की आय मासिक तौर पर निर्धारित होनी चाहिए.

किसान ऐसे करेंगे आंदोलन

- शुरुआती आंदोलन में किसान 1 जून से ग्रामीण क्षेत्रों में फल, दूध, सब्जी व अन्य सामान ग्रामीण क्षेत्रों से शहर की ओर आना बंद करेंगे.

- 6 जून को कुछ किसान संगठन मंदसौर गोलीकांड में मरने वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.

- 10 जून यानि की आंदोलन के आखिरी दिन किसान पूरे भारत में बंद का आह्वान करेंगे.

3 बाद हिंसक हो सकता है आंदोलन
किसानों के आंदोलन को लेकर जहां एक तरफ प्रशासन चिंतित है तो वहीं, इंटेलिजेंस आईजी मकरंद देउस्कर ने कहा- 'जैसे-जैसे आंदोलन आगे बढ़ता है वैसे-वैसे स्थितियां बदलती हैं'. उन्होंने कहा कि हाईवे से सटे हुए गांव के किसान अचानक एकजुट होकर उग्र प्रदर्शन कर सकते हैं, ऐसे में उन्हें रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है.

राहुल गांधी भी होंगे आंदोलन का हिस्सा!
एक तरफ किसान आंदोलन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रदेश का दौरा करने वाले हैं. आगामी 6 जून को राहुल पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के साथ मंदसौर का दौरा करने वाले हैं. राहुल के दौरे को लेकर सियासी गलियारों में पहले से ही अटकलों की शुरुआत हो गई है.

Source:-Zeenews

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भले ही 4 लोकसभा सीटें बीजेपी हार जाए, फिर भी सदन में BJP का रहेगा बहुमत

31 मई को चार लोकसभा सीटों कैराना, पालघर, भंडारा-गोंदिया और नगालैंड में उपचुनाव हो रहे हैं. इनमें से तीन सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ रही है और चौथी नगालैंड सीट पर सहयोगी पार्टी को समर्थन दे रही है. इसलिए इन नतीजों के साथ इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि बीजेपी इन सीटों पर हारती है तो लोकसभा में क्‍या उसका बहुमत का गणित गड़बड़ा जाएगा? वैसे तो सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी के नेतृत्‍व में एनडीए के पास 300 से भी अधिक सीटें हैं लेकिन 2014 में बीजेपी ने अपने दम पर 282 सीटें हासिल की थीं. चार साल बाद यह सीटें घटकर 272 हो गई हैं.

हालांकि इस वक्‍त लोकसभा की सदस्‍य संख्‍या 543 में से 536 है. इसके बाद खाली पड़ी सीटों में से चार पर चुनाव हो रहे हैं. इस तरह लोकसभा सदस्‍यों की संख्‍या बढ़कर 540 हो जाएगी. ऐसे में यदि इन चारों सीटों पर बीजेपी जीत हासिल नहीं भी कर पाती है तो भी इस लिहाज से उसके पास बहुमत(271) से एक सीट ज्‍यादा होगी.

कैराना (यूपी)
बीजेपी सांसद और गुर्जर नेता हुकुम सिंह के निधन के कारण यह सीट रिक्‍त हुई है. पार्टी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. गोरखपुर और फूलपुर में सपा-बसपा तालमेल की तर्ज पर यहां भी विपक्ष ने एकजुटता दिखाते हुए अपने प्रत्‍याशी को उतारा है. यहां अजित सिंह की पार्टी रालोद (RLD) ने महिला प्रत्‍याशी तबस्‍सुम हसन को उतारा है. सपा ने इनको समर्थन दिया है. जाट-मुस्लिम तनाव और सियासी रसूख के लिए जाट-गुर्जर प्रतिद्वंद्विता के बीच यह मुकाबला है. गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी की चौंकाने वाली हार के बाद सीएम योगी और पीएम मोदी के लिए यह अगली अग्निपरीक्षा है.

Source:-Zeenews

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Friday 25 May 2018

सावधान! घरों में लगे राउटर और ब्लूटूथ से निकलने वाली तरंगे आपको कर देती हैं बीमार

सुमन अग्रवाल, नई दिल्ली: घरों के बाहर जो मोबाइल टावर्स लगे हैं उनकी तरगों से हमें बहुत परेशानी होती है. इसलिए उन्हें रिहायशी इलाकों से दूर लगाने के नियम बने हैं. लेकिन, घर के अंदर जो राउटर लगा है, (वाई फाई-ब्लूटूथ) जिससे घर के सभी तरह के कम्यूनिकेशन वाले इलेक्ट्रॉनिक अपलाइंसेस चलते हैं, उनकी तरगें कितनी खतरनाक होती हैं, कभी सोचा है. इसलिए नहीं सोचा क्योंकि इन इलेकट्रॉनिक अपलाइंसेस की रेडिएशन रेंज कितनी होनी चाहिए ऐसा कोई मानक नहीं है, ना ही कंपनियां कुछ बताती हैं, और ना ही कोई सरकारी निर्देश हैं. लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा. एनपीएल इन अपलाइंसेस की रेडिएशन रेंज का मानक तय करने जा रही है. इसके बाद कंपनियों को रेडिएशन रेंज को ध्यान में रखकर ये अपलाइंसेस बनाने होंगे.

पॉल्यूशन के बाद अब रेडिएशन पर है एनपीएल की नजर
जी हां, पॉल्यूशन पर मानक बनाने के बाद अब एनपीएल ने रेडिएशन रेंज पर मानक लाने का काम शुरू कर दिया है. आप सोच रहे होंगे कि इलेक्ट्रॉनिक अपलाइंसेस के रेडिएशन पर स्टैंडर्ड ये क्या होता है. हम आपको समझाते हैं. मोबाइल टॉवर जो घर के बाहर लगे होते हैं उनके लिए नियम हैं कि वो कितनी दूर लगाए जाएं ताकि उसकी तरगें हमें कम से कम नुकसान दे सकें. लेकिन, घर के कोने में लगा राउटर उतनी ही रेडिएशन छोड़ता है जितना कि बाहर का टावर.

मस्तिष्क पर बुरा असर छोड़ती हैं तरंगें
इस बारे में जब जी मीडिया ने डॉक्टर मोनिका महाजन से बात की तो उन्होंने बताया कि इन तरंगों से हमारे मस्तिष्क पर बुरा असर होता है. हमारे टिश्यू गर्म होते हैं और एक निश्चित समय पर वो बाकी अंगों पर असर करना शुरू कर देते हैं.

क्या होता है असर
- बच्चों में चिड़चिड़ापन
- सिर दर्द, भारीपन
- तनाव, स्मरण शक्ति कम होना
- गर्दन और बदन दर्द
- दिल और दिमाग की बीमारी
- दिमाग के टिश्यू डैमेज हो सकते हैं
- कैंसर तक होने की संभावना रहती है

Source:-Zeenews

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Thursday 24 May 2018

कांग्रेस ने तूतीकोरिन में गोलीबारी को बताया जनसंहार, जलियांवाला बाग हत्याकांड से की तुलना

चेन्नई: तमिलनाडु के तूतीकोरिन में तांबा संयंत्र को बंद करने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़प में 11 लोगों की मौत पर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा इस घटना की तुलना जलियांवाला बाग में हुए हत्याकांड से की है. गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'राज्य सरकार जानती थी कि आंदोलन के 100 दिन हो गए हैं, यह आगे और भी बढ़ने जा रहा है. उन्हें कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए बेहतर इंतजाम करना चाहिए था, लेकिन कुछ भी नहीं किया गया. उन्होंने हालात से निपटने के लिए फायरिंग का सहारा लिया. यह जनसंहार है, बिल्कुल जलियांवाला बाग की तरह.'

पुलिस की गोलीबारी में अबतक 11 की मौत, केंद्र ने तमिलनाडु से रिपोर्ट मांगी
तमिलनाडु के तूतीकोरिन में पुलिस की गोलीबारी में अबतक 11 की मौत हो गयी है. राज्य सरकार ने हिंसा की जांच के लिए मद्रास उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरुणा जगदीशन के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया है. मंगलवार (22 मई) के बाद बुधवार (23 मई) के दिन हिंसा होने के बाद राज्य सरकार ने तूतीकोरिन के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया है. बहरहाल, केंद्रीय गृह मंत्रालय वेदांता समूह के स्टरलाइट तांबा संयंत्र को बंद करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी के लिए बने हालात पर तमिलनाडु सरकार से एक रिपोर्ट मांगी है. बड़े पैमाने पर हुई हिंसा का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने तमिलनाडु के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

पर्यावरण संगठनों, एमनेस्टी ने तूतीकोरिन में प्रदर्शनकारियों के मारे जाने की निंदा की
पर्यावरण के लिए काम करने वाले संगठनों ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन शहर में स्टरलाइट कॉपर संयंत्र का विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस की गोलीबारी की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मौजूदा स्थिति से देश में पर्यावरण संबंधी शासन की ‘‘पूर्ण नाकामी’’ का पता चलता है. सेंटर फोर साइंस एंड इन्वायरनमेंट (सीएसई) ने कहा कि कंपनी के व्यापारिक हितों पर लोगों के हितों को तरजीह दी जानी चाहिए.

Source:-Zeenews

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After PM's Warning, BJP Leaders Say Akash Vijayvargiya Was Not "Invited"

INDORE, MADHYA PRADESH: Local BJP pioneers in Indore have hurried to clarify their gathering of Akash Vijayvargiya, child of senior gatheri...