31 मई को चार लोकसभा सीटों कैराना, पालघर, भंडारा-गोंदिया और नगालैंड में उपचुनाव हो रहे हैं. इनमें से तीन सीटों पर बीजेपी चुनाव लड़ रही है और चौथी नगालैंड सीट पर सहयोगी पार्टी को समर्थन दे रही है. इसलिए इन नतीजों के साथ इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि यदि बीजेपी इन सीटों पर हारती है तो लोकसभा में क्या उसका बहुमत का गणित गड़बड़ा जाएगा? वैसे तो सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए के पास 300 से भी अधिक सीटें हैं लेकिन 2014 में बीजेपी ने अपने दम पर 282 सीटें हासिल की थीं. चार साल बाद यह सीटें घटकर 272 हो गई हैं.
हालांकि इस वक्त लोकसभा की सदस्य संख्या 543 में से 536 है. इसके बाद खाली पड़ी सीटों में से चार पर चुनाव हो रहे हैं. इस तरह लोकसभा सदस्यों की संख्या बढ़कर 540 हो जाएगी. ऐसे में यदि इन चारों सीटों पर बीजेपी जीत हासिल नहीं भी कर पाती है तो भी इस लिहाज से उसके पास बहुमत(271) से एक सीट ज्यादा होगी.
कैराना (यूपी)
बीजेपी सांसद और गुर्जर नेता हुकुम सिंह के निधन के कारण यह सीट रिक्त हुई है. पार्टी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. गोरखपुर और फूलपुर में सपा-बसपा तालमेल की तर्ज पर यहां भी विपक्ष ने एकजुटता दिखाते हुए अपने प्रत्याशी को उतारा है. यहां अजित सिंह की पार्टी रालोद (RLD) ने महिला प्रत्याशी तबस्सुम हसन को उतारा है. सपा ने इनको समर्थन दिया है. जाट-मुस्लिम तनाव और सियासी रसूख के लिए जाट-गुर्जर प्रतिद्वंद्विता के बीच यह मुकाबला है. गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी की चौंकाने वाली हार के बाद सीएम योगी और पीएम मोदी के लिए यह अगली अग्निपरीक्षा है.
Source:-Zeenews
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हालांकि इस वक्त लोकसभा की सदस्य संख्या 543 में से 536 है. इसके बाद खाली पड़ी सीटों में से चार पर चुनाव हो रहे हैं. इस तरह लोकसभा सदस्यों की संख्या बढ़कर 540 हो जाएगी. ऐसे में यदि इन चारों सीटों पर बीजेपी जीत हासिल नहीं भी कर पाती है तो भी इस लिहाज से उसके पास बहुमत(271) से एक सीट ज्यादा होगी.
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बीजेपी सांसद और गुर्जर नेता हुकुम सिंह के निधन के कारण यह सीट रिक्त हुई है. पार्टी ने उनकी बेटी मृगांका सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. गोरखपुर और फूलपुर में सपा-बसपा तालमेल की तर्ज पर यहां भी विपक्ष ने एकजुटता दिखाते हुए अपने प्रत्याशी को उतारा है. यहां अजित सिंह की पार्टी रालोद (RLD) ने महिला प्रत्याशी तबस्सुम हसन को उतारा है. सपा ने इनको समर्थन दिया है. जाट-मुस्लिम तनाव और सियासी रसूख के लिए जाट-गुर्जर प्रतिद्वंद्विता के बीच यह मुकाबला है. गोरखपुर और फूलपुर में बीजेपी की चौंकाने वाली हार के बाद सीएम योगी और पीएम मोदी के लिए यह अगली अग्निपरीक्षा है.
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