नई दिल्ली : कांग्रेस सहित 7 पार्टियों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ महाभियोग लाने का प्रस्ताव दिया है. शुक्रवार को उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू को सौंपे गए इस प्रस्ताव में विपक्ष ने प्रधान न्यायाधीश पर पांच आरोप लगाए हैं और महाभियोग शुरू करने की मांग की है, लेकिन विपक्ष के इस दांव की राह में कई रोड़े हैं. इस पूरी प्रकिया में एक खास बात यह भी है कि अगर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू भी हुई तो उसके पूरी होने से पहले ही चीफ जस्टिस का कार्यकाल पूरा हो चुका होगा. वह 2 अक्टूबर को रिटायर होंगे.
-सबसे पहले तो राज्यसभा के सभापति यानि उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू इस प्रस्ताव को खारिज कर सकते हैं. दरअसल, इस प्रस्ताव के लिए लोकसभा के 100 या उच्च सदन यानि राज्यपाल के 50 सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी हैं, लेकिन राज्यसभा के सभापति को प्रस्ताव को मंजूर करने या उसे खारिज करने का अधिकार है.
-अगर रिपोर्ट खिलाफ है तो न्यायाधीश की राज्यसभा में होगी पेशी. उसके बाद वोटिंग की जाएगी. प्रस्ताव की जीत के लिए 123 वोट जरूरी है, लेकिन अभी जिन 7 दलों ने महाभियोग का प्रस्ताव रखा है, उनके उच्च सदन में सिर्फ 78 सांसद हैं. यानी प्रस्ताव गिरना लगभग तय है.
-अगर यह प्रस्ताव मंजूर हुआ तो तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा, जोकि आरोपों की जांच करेगी. इस 3 सदस्यीय समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक कानून विशेषज्ञ होंगे. समिति आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
-अगर इस मुद्दे पर विपक्ष एक हुआ तो वह राज्यसभा में जीत जाएगा, जिसके बाद लोकसभा में पेशी होगी, लेकिन संख्याबल के मुताबिक वहां विपक्ष की हार तय है. बड़ी बात यह भी है कि इस प्रक्रिया में 6 महीने से अधिक समय लगेंगे. और तब तक चीफ जस्टिस (2 अक्टूबर को) रिटायर हो चुके होंगे.
Source:-Zeenews
View more: Bulk Email Marketing, WhatsApp Marketing, Digital Marketing Company
-सबसे पहले तो राज्यसभा के सभापति यानि उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू इस प्रस्ताव को खारिज कर सकते हैं. दरअसल, इस प्रस्ताव के लिए लोकसभा के 100 या उच्च सदन यानि राज्यपाल के 50 सदस्यों के हस्ताक्षर जरूरी हैं, लेकिन राज्यसभा के सभापति को प्रस्ताव को मंजूर करने या उसे खारिज करने का अधिकार है.
-अगर रिपोर्ट खिलाफ है तो न्यायाधीश की राज्यसभा में होगी पेशी. उसके बाद वोटिंग की जाएगी. प्रस्ताव की जीत के लिए 123 वोट जरूरी है, लेकिन अभी जिन 7 दलों ने महाभियोग का प्रस्ताव रखा है, उनके उच्च सदन में सिर्फ 78 सांसद हैं. यानी प्रस्ताव गिरना लगभग तय है.
-अगर यह प्रस्ताव मंजूर हुआ तो तीन सदस्यीय समिति का गठन किया जाएगा, जोकि आरोपों की जांच करेगी. इस 3 सदस्यीय समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा जज, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और एक कानून विशेषज्ञ होंगे. समिति आरोपों की जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
-अगर इस मुद्दे पर विपक्ष एक हुआ तो वह राज्यसभा में जीत जाएगा, जिसके बाद लोकसभा में पेशी होगी, लेकिन संख्याबल के मुताबिक वहां विपक्ष की हार तय है. बड़ी बात यह भी है कि इस प्रक्रिया में 6 महीने से अधिक समय लगेंगे. और तब तक चीफ जस्टिस (2 अक्टूबर को) रिटायर हो चुके होंगे.
Source:-Zeenews
View more: Bulk Email Marketing, WhatsApp Marketing, Digital Marketing Company