नई दिल्ली : जिस सोशल मीडिया की भूमिका पर आज सवाल उठ रहे हैं, वह कई बार हमारे लिए बहुत मददगार साबित हो सकता है. जम्मू एंड कश्मीर के बनिहाल में Whatsapp की मदद से एक डॉक्टर ने मरीज की जान बचा ली. उस मरीज को हार्ट अटैक आया था. ऐसे में डॉक्टर ने उसका ईसीजी कर तुरंत उसे Whatsapp पर अपने सीनियर्स के साथ शेयर किया, उन्होंने डॉक्टर को दिशा निर्देश दिए और मरीज की जान बचा ली गई.
मामला जम्मू एंड कश्मीर के बनिहाल का है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कुछ दिनों पहले यहां पर 27 वर्षीय बिलाल अहमद को छाती में दर्द की शिकायत के बाद रामबान के लोकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. डॉक्टर ने उसका ईसीजी किया. उससे पता चला कि उसे हार्ट अटैक आया है. डॉ. आकिब नजम ने कहा, 'हमने इसके बाद बिना देर किए ईसीजी को इसे अपने सीनियर डॉक्टर के साथ शेयर किया. उन्होंने मुझे इस मामले में गाइड किया और थ्रोंबोलिसिस के इस्तेमाल के लिए बोला. थ्रोंबोलिसिस रक्त वाहिकाओं में क्लॉट को खत्म करती है. मैंने भी वही किया और हम मरीज की जान बचाने में कामयाब रहे.'
डॉ. नजम के अनुसार, इस तरह के केस में पहला घंटा सबसे महत्वपूर्ण होता है. ये एक गोल्डन आवर होता है. लेकिन इस तरह की जगह में कई बार पहले घंटे में लोग कई बार देर कर देते हैं. डॉ. ने कहा, हमने उस शख्स को ट्रीटमेंट देने के बाद आगे के इलाज के लिए श्रीनगर के लिए रेफर कर दिया.
ये मरीज उन कई मरीजों में शामिल है, जो दूर दराज के क्षेत्रों में बीमार पड़ जाते हैं, लेकिन डॉक्टरों के इस नए तरीके से उनकी जान बचाई जा चुकी है. दरअसल इसकी शुरुआत पिछले दिसंबर में कश्मीर के डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विस ने की थी. अधिकारियों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग हब एंड स्पोक मॉडल का घाटी में लोगों की जान बचाने में इस्तेमाल कर रहा है. कश्मीर में हृदय रोग या अन्य बड़े रोगों के इलाज के लिए लोग दो ही अस्पताल शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एसकेआईएमएस) और श्री महाराजा हरिसिंह हॉस्पिटल (एसएमएचएस) पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में दूर दराज के अस्पतालों को Whatsapp पर एक ग्रुप से जोड़ा गया है, जो ऐसे कठिन मौकों पर बड़े डॉक्टर की सलाह लेकर मरीजों को शुरुआती घंटों में इलाज मुहैया करा रहे हैं.
Source:-ZEENEWS
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मामला जम्मू एंड कश्मीर के बनिहाल का है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक कुछ दिनों पहले यहां पर 27 वर्षीय बिलाल अहमद को छाती में दर्द की शिकायत के बाद रामबान के लोकल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. डॉक्टर ने उसका ईसीजी किया. उससे पता चला कि उसे हार्ट अटैक आया है. डॉ. आकिब नजम ने कहा, 'हमने इसके बाद बिना देर किए ईसीजी को इसे अपने सीनियर डॉक्टर के साथ शेयर किया. उन्होंने मुझे इस मामले में गाइड किया और थ्रोंबोलिसिस के इस्तेमाल के लिए बोला. थ्रोंबोलिसिस रक्त वाहिकाओं में क्लॉट को खत्म करती है. मैंने भी वही किया और हम मरीज की जान बचाने में कामयाब रहे.'
डॉ. नजम के अनुसार, इस तरह के केस में पहला घंटा सबसे महत्वपूर्ण होता है. ये एक गोल्डन आवर होता है. लेकिन इस तरह की जगह में कई बार पहले घंटे में लोग कई बार देर कर देते हैं. डॉ. ने कहा, हमने उस शख्स को ट्रीटमेंट देने के बाद आगे के इलाज के लिए श्रीनगर के लिए रेफर कर दिया.
ये मरीज उन कई मरीजों में शामिल है, जो दूर दराज के क्षेत्रों में बीमार पड़ जाते हैं, लेकिन डॉक्टरों के इस नए तरीके से उनकी जान बचाई जा चुकी है. दरअसल इसकी शुरुआत पिछले दिसंबर में कश्मीर के डायरेक्टरेट ऑफ हेल्थ सर्विस ने की थी. अधिकारियों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग हब एंड स्पोक मॉडल का घाटी में लोगों की जान बचाने में इस्तेमाल कर रहा है. कश्मीर में हृदय रोग या अन्य बड़े रोगों के इलाज के लिए लोग दो ही अस्पताल शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एसकेआईएमएस) और श्री महाराजा हरिसिंह हॉस्पिटल (एसएमएचएस) पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में दूर दराज के अस्पतालों को Whatsapp पर एक ग्रुप से जोड़ा गया है, जो ऐसे कठिन मौकों पर बड़े डॉक्टर की सलाह लेकर मरीजों को शुरुआती घंटों में इलाज मुहैया करा रहे हैं.
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