नई दिल्ली : भारतीय सेना इस समय फंड की कमी से जूझ रही है. अभी खबरें आई थीं कि बजट में कटौती के कारण सेना में सैनिकों को अपनी वर्दी मार्केट से खरीदनी पड़ सकती है. अब सेना ने अपनी उस जमीन के बदले पैसे की मांग की है, जिस पर या तो अतिक्रमण कर लिया गया है या फिर वह राज्य सरकार को ट्रांसफर कर दी गई है. इससे सेना को अपने रुके हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी कामों को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
सेना की ओर से रक्षा विभाग को पत्र लिखकर जमीन के बदले पैसे की मांग की गई है. डीएनए की रिपोर्ट के अुनसार, ये पत्र इस संबंध में पिछले महीने लिखा गया था. इस पत्र के अनुसार, देश में 1550.20 एकड़ आर्मी की जमीन राज्य सरकार के पास है. इसके अलावा सेना की 1219.98 एकड़ जमीन पर किसी न किसी तरह का अतिक्रमण है.
सेना का कहना है कि राज्य सरकारें उसे उसकी जमीन के बराबर की कीमत की जमीन नहीं लौटा पाई हैं. अब सेना ने प्रस्ताव दिया है कि राज्य सरकारें उसे जमीन के बदले रुपए दें. इससे वह अपने करीब 5000 करोड़ के मेरिड अकोमेडेशन प्रोजेक्ट (एमएपी) के लिए इस्तेमाल कर सकेगी. इसके अलावा उसे अगले पांच साल के लिए आधुनिकीकरण के लिए जो 15000 करोड़ की जरूरत है, उसे भी पूरा किया जा सकेगा.
डिफेंस डील से जुड़े अधिकारी के मुताबिक सेना को उसकी कीमत पर जमीन उपलब्ध कराने की परेशानी समय समय पर आती रहती है. उसके अगर हमें जमीन के बदले फंड मिल जाता है तो फंड की कमी से जो आधुनिकीकरण की प्रक्रिया अटकी हुई है, उससे भी निपटा जा सकेगा. इस समय सेना असॉल्ट राइफल और छोटे हथियारों की कमी से जूझ रही है.
Source:-ZEENEWS
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सेना की ओर से रक्षा विभाग को पत्र लिखकर जमीन के बदले पैसे की मांग की गई है. डीएनए की रिपोर्ट के अुनसार, ये पत्र इस संबंध में पिछले महीने लिखा गया था. इस पत्र के अनुसार, देश में 1550.20 एकड़ आर्मी की जमीन राज्य सरकार के पास है. इसके अलावा सेना की 1219.98 एकड़ जमीन पर किसी न किसी तरह का अतिक्रमण है.
सेना का कहना है कि राज्य सरकारें उसे उसकी जमीन के बराबर की कीमत की जमीन नहीं लौटा पाई हैं. अब सेना ने प्रस्ताव दिया है कि राज्य सरकारें उसे जमीन के बदले रुपए दें. इससे वह अपने करीब 5000 करोड़ के मेरिड अकोमेडेशन प्रोजेक्ट (एमएपी) के लिए इस्तेमाल कर सकेगी. इसके अलावा उसे अगले पांच साल के लिए आधुनिकीकरण के लिए जो 15000 करोड़ की जरूरत है, उसे भी पूरा किया जा सकेगा.
डिफेंस डील से जुड़े अधिकारी के मुताबिक सेना को उसकी कीमत पर जमीन उपलब्ध कराने की परेशानी समय समय पर आती रहती है. उसके अगर हमें जमीन के बदले फंड मिल जाता है तो फंड की कमी से जो आधुनिकीकरण की प्रक्रिया अटकी हुई है, उससे भी निपटा जा सकेगा. इस समय सेना असॉल्ट राइफल और छोटे हथियारों की कमी से जूझ रही है.
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